संस्कार और मानवता
मानवता
बच्चों में संस्कार कैसे विकसित करें, इस बात की स्कूल में रोजाना चर्चा हाेने लगी। असेम्बली में तो हर रोज इस बात पर जोर दिया जाने लगा कि बच्चों को अच्छे व्यवहार की ओर कैसे अग्रसर करें। नौंवी में पढने वाले राजेश के मन में रोज ये बात आती कि ये संस्कार आखिर होते क्या हैं, उसने इस बारे में हिंदी के अध्यापक राजकिश्ाोर से बात की तो उन्होंने बताया, बेटा संस्कार से मतलब अच्छे व्यवहार के साथ बडों का आदर, छोटों को प्यार और मानवता का संचार होना है। इस बारे में मैं आज कक्षा में बताउंगा।
चौथे पीरियड में हिंदी की कक्षा थी। बच्चे अध्यापक का इंतजार कर रहे थे कि आज कुछ नया जानने को मिलेगा। राजकिशोर ने कक्षा में आने के बाद कहा, आज मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं। उसने कहा- एक बदमाश था, उसका नाम टोनी था। वह रोज चोरी करता, उल्टे काम करता। और इसी प्रकार की उसकी संगति भी बनी हुई थी। उसके सभी साथी भी चोर थे। एक बार वह रात को किसी मकान में सेंध लगाने के लिए जा रहा था कि रास्ते में उसे एक युवक मिला। युवक की बाइक खराब हो गई थी और वह उसे खींचकर पैदल ले जा रहा था। युवक ने उसे रास्ते में रोका और कहा- मेरा नाम अविनाश है और मुझे लगभग दस किलोमीटर दूर जाना है, क्या यहां कोई मिस्त्री मिल सकता है। टोनी खुद मिस्त्री का काम जानता था, उसने सोचा- ये अच्छा मौका है, क्यों न इसकी बाइक ठीक कर मुंह मांगे पैसे ले लिए जाएं। रात के 12 बजे थे। टोनी ने युवक से कहा- इस समय कोई मिस्त्री नहीं मिलेगी, तुम कहो तो इसे मैं ठीक कर सकता हूं, लेकिन इसके पैसे लगेंगे। अविनाश ने पूछा- कोई बात नहीं, आप इसे ठीक कर दो। टोनी ने उसकी बाइक को ठीक कर दिया। उसके प्लग में दिक्कत थी। अब टोनी ने कहा, मुझे हजार रुपए दे दो। उसने उसे पैसे देने को पर्स निकाला तो उसमें हजारों रुपए थे, ज्यादा रुपए देखे तो टोनी के मन में लालच आ गया और उसने चाकू निकाल कर उसे धमकाया और सारे रुपए छीन लिए। यही नहीं उसने अविनाश की बाइक भी छीन ली और भाग गया।
अगले रोज रात को टोनी एक कालोनी में पहुंचा और पाइप के सहारे एक मकान में पिछले हिस्से पर चढ गया। ऊपर जाकर उसने मकान के कमरे में ताक झांक की, लेकिन जिस पाइप पर वह खडा था, वह पाइप टूट गया और चौथी मंजिल से वह एकदम नीचे जा गिरा। गिरते ही उसकी चीख निकल गई और वह बेहोश हो गया। दो रोज तक बेहोशी के बाद उसकी आंख खुली तो उसने खुद को हॉस्पीटल में पडा पाया। जैसे ही उसे होश आया तो उसने देखा कि उसके सामने वही युवक खडा था, जिसे उसने उस रात लूटा था। संयोग से वह मकान उसी युवक अविनाश की बहन का था, जिसके पैर नहीं थे और अविनाश ही उसकी देख रेख करता था। अविनाश ने टोनी को कहा- अब कैसा लग रहा है तो वह कुछ बोल नहीं पाया। अविनाश उसे फिर आने को कह कर कमरे से चला गया तो उसने डाक्टर से पूछा कि वह यहां कैसे आया तो डाक्टर ने उसे सारी बात बताई। डाक्टर ने बताया कि उसके सिर से काफी खून बह गया था, यदि उसे अविनाश यहां नहीं लाता तो वह गुजर गया होता। लगभग 15 हजार का खर्च हो चुका है। अभी ठीक होने में एक महीने का समय लगेगा। यह सब सुनकर टोनी का मन आत्मग्लानि से भर गया। उसने सोचा वह चोरी करने की नीयत से उनके घर में घुसा, लेकिन उन्होंने उसे मानवता दिखाकर अस्पताल में भर्ती करवाया, जबकि उसने तो वहां चोरी करनी थी। कुछ समय बार अविनाश वहां आया और बोला- तुम चिंता मत करो, हम तुम्हें कुछ नहीं कहेंगे। टोनी की आंखों में आंसू आ गए। लगभग दो महीने बाद टोनी चलने फिरने लायक हुआ तब तक उसकी देखभाल अविनाश ने ही की। अस्पताल से डिस्चार्ज करने के बाद वह उसे अपनी बहन के घर ले आया और उसको अपना भाई बना उसकी सेवा करता रहा। टोनी का इस दुनिया में कोई नहीं था, अविनाश के रूप में उसे भाई मिल गया और उसके बाद उसकी पूरी जिंदगी बदल गई। अब वह एक शरीफ इंसान बन गया था। उसने अपना गेराज शुरू कर लिया और अनाथों की मदद करने लगा। राजेश और उसकी पूरी कक्षा अब समझ चुकी थी कि संस्कार दूसरों की जिंदगी भी बदल देते हैं।
चौथे पीरियड में हिंदी की कक्षा थी। बच्चे अध्यापक का इंतजार कर रहे थे कि आज कुछ नया जानने को मिलेगा। राजकिशोर ने कक्षा में आने के बाद कहा, आज मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं। उसने कहा- एक बदमाश था, उसका नाम टोनी था। वह रोज चोरी करता, उल्टे काम करता। और इसी प्रकार की उसकी संगति भी बनी हुई थी। उसके सभी साथी भी चोर थे। एक बार वह रात को किसी मकान में सेंध लगाने के लिए जा रहा था कि रास्ते में उसे एक युवक मिला। युवक की बाइक खराब हो गई थी और वह उसे खींचकर पैदल ले जा रहा था। युवक ने उसे रास्ते में रोका और कहा- मेरा नाम अविनाश है और मुझे लगभग दस किलोमीटर दूर जाना है, क्या यहां कोई मिस्त्री मिल सकता है। टोनी खुद मिस्त्री का काम जानता था, उसने सोचा- ये अच्छा मौका है, क्यों न इसकी बाइक ठीक कर मुंह मांगे पैसे ले लिए जाएं। रात के 12 बजे थे। टोनी ने युवक से कहा- इस समय कोई मिस्त्री नहीं मिलेगी, तुम कहो तो इसे मैं ठीक कर सकता हूं, लेकिन इसके पैसे लगेंगे। अविनाश ने पूछा- कोई बात नहीं, आप इसे ठीक कर दो। टोनी ने उसकी बाइक को ठीक कर दिया। उसके प्लग में दिक्कत थी। अब टोनी ने कहा, मुझे हजार रुपए दे दो। उसने उसे पैसे देने को पर्स निकाला तो उसमें हजारों रुपए थे, ज्यादा रुपए देखे तो टोनी के मन में लालच आ गया और उसने चाकू निकाल कर उसे धमकाया और सारे रुपए छीन लिए। यही नहीं उसने अविनाश की बाइक भी छीन ली और भाग गया।
अगले रोज रात को टोनी एक कालोनी में पहुंचा और पाइप के सहारे एक मकान में पिछले हिस्से पर चढ गया। ऊपर जाकर उसने मकान के कमरे में ताक झांक की, लेकिन जिस पाइप पर वह खडा था, वह पाइप टूट गया और चौथी मंजिल से वह एकदम नीचे जा गिरा। गिरते ही उसकी चीख निकल गई और वह बेहोश हो गया। दो रोज तक बेहोशी के बाद उसकी आंख खुली तो उसने खुद को हॉस्पीटल में पडा पाया। जैसे ही उसे होश आया तो उसने देखा कि उसके सामने वही युवक खडा था, जिसे उसने उस रात लूटा था। संयोग से वह मकान उसी युवक अविनाश की बहन का था, जिसके पैर नहीं थे और अविनाश ही उसकी देख रेख करता था। अविनाश ने टोनी को कहा- अब कैसा लग रहा है तो वह कुछ बोल नहीं पाया। अविनाश उसे फिर आने को कह कर कमरे से चला गया तो उसने डाक्टर से पूछा कि वह यहां कैसे आया तो डाक्टर ने उसे सारी बात बताई। डाक्टर ने बताया कि उसके सिर से काफी खून बह गया था, यदि उसे अविनाश यहां नहीं लाता तो वह गुजर गया होता। लगभग 15 हजार का खर्च हो चुका है। अभी ठीक होने में एक महीने का समय लगेगा। यह सब सुनकर टोनी का मन आत्मग्लानि से भर गया। उसने सोचा वह चोरी करने की नीयत से उनके घर में घुसा, लेकिन उन्होंने उसे मानवता दिखाकर अस्पताल में भर्ती करवाया, जबकि उसने तो वहां चोरी करनी थी। कुछ समय बार अविनाश वहां आया और बोला- तुम चिंता मत करो, हम तुम्हें कुछ नहीं कहेंगे। टोनी की आंखों में आंसू आ गए। लगभग दो महीने बाद टोनी चलने फिरने लायक हुआ तब तक उसकी देखभाल अविनाश ने ही की। अस्पताल से डिस्चार्ज करने के बाद वह उसे अपनी बहन के घर ले आया और उसको अपना भाई बना उसकी सेवा करता रहा। टोनी का इस दुनिया में कोई नहीं था, अविनाश के रूप में उसे भाई मिल गया और उसके बाद उसकी पूरी जिंदगी बदल गई। अब वह एक शरीफ इंसान बन गया था। उसने अपना गेराज शुरू कर लिया और अनाथों की मदद करने लगा। राजेश और उसकी पूरी कक्षा अब समझ चुकी थी कि संस्कार दूसरों की जिंदगी भी बदल देते हैं।
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